शहडोल के सोहागपुर विकासखण्ड अंतर्गत माध्यमिक विद्यालय अरझुला में पदस्थ प्रधानाध्यापक कामता प्रजापति सूचना का अधिकार अधिनियम की मन गढ़ंत धारा गढ़ रहे हैं, मामले का खुलासा तब हुआ जब एक आवेदक ने आरटीआई के तहत आवेदन देकर बीते कुछ वर्षों के अंतराल में हुए साइकिल वितरण, और एस. एम.सी. के बैठक संबंधित जानकारी मांगी। लेकिन इसके जवाब में आरटीआई की धारा 8 (जे) का ज़िक्र करते हुए जानकारी देने से मना कर दिया गया। और यह भी लिखा कि इससे छात्रों के आर्थिक स्थिति का पता चलता है जिससे गंभीर अपराध होने की आशंका है। जबकि सब जानते हैं कि आदिवासी क्षेत्र का ग्रामीण स्कूल है जिसमें अधिकांश आदिवासी बच्चें होंगे जो किसी करोड़पतियों घरानो से नहीं बल्कि यहीं मेहनत मजदूरी करने वाले घरों से आते हैं, इसमे छुपाने, शर्माने या आर्थिक प्रतिष्ठा जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए! वहीं सुनवाइयों में राज्य सूचना आयोग ने ऐसे मामलों में स्पष्ट कहा है कि आरटीआई आवेदन को 8 (जे) या 8 (जे, 1) का बहाना बता कर रोका जाना अधिनियम संगत नहीं है। आवेदक द्वारा आदिवासी छात्रों में शिक्षा और खेल की दशा-दिशा सुधारने और आदिवासी छात्रों के उन्नयन के नाम से जारी राशि में लाखों रुपए की गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है?
व्यक्तिगत जानकारी बता कर एक बड़ी गड़बड़ी छुपाई जा रही है?
आवेदक की मानें तो साइकिल वितरण से लेकर कई मामलों में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है, 2017 तक यानी जब-तक साइकिल वितरण प्रक्रिया ऑनलाइन नहीं थी तब तक किए गए भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है, इसके बाद भी ऐसा नहीं कहा जा सकता कि गड़बड़ियां नहीं की गई! जानकारों की मानें तो आवेदक के आवेदन को 8 (जे) के तहत उक्त प्रधानाध्यापक कामता प्रजापति ने टरका तो दिया लेकिन उन्होंने शायद आरटीआई का वह अधिनियम नहीं पढ़ा था जिसमे आरटीआई की धारा 7 की उपधारा 8 के अनुसार लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन के निराकरण के संबंध मे जारी पत्र/आदेश में आवेदन को अमान्य करने के कारणों, समयावधि जिसके अंतर्गत आवेदक द्वारा विहित प्राधिकारी को अपील की जा सके तथा अपीलीय प्राधिकारी का नाम एवं पते का विवरण दिया जाना आवश्यक है। लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया। जो उक्त जबावी पत्र मे लोक लोक सूचना अधिकारी (प्रधानाध्यापक) की दूसरी बड़ी गलती बताई जा रही है।
समय से नहीं आते प्रधानाध्यापक!
हमारे प्रतिनिधि ने बीते दिनों मौके पर माध्यमिक विद्यालय अरझुला पहुंचकर देखा तो विद्यालय बंद हो चुका था, आसपास ग्रामीणों से पूछने पर पता चला कि प्रधानाध्यापक अक्सर 12 बजे तक विद्यालय आते हैं, और 3 बजे तक विद्यालय बंद कर के चले जाते हैं, और आसपास किसी चाय-पान की गुमटियों में बैठे रहते हैं।
इनका कहना है
इस मामले में मुझसे गलती से ऐसा जवाब लिख गया है, मै वापस इसमें सुधार कर लूंगा।
कामता प्रजापति
(प्रधानाध्यापक, माध्यमिक स्कूल अरझुला)
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