मोहनलाल मोदी
भोपाल। राजधानी (Capital) के दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भाजपा (BJP) द्वारा की गई एक भूल सुधार कांग्रेस (Congress) के लिए लाभदायक सिद्ध होती दिखाई दे रही है। उल्लेखनीय है कि सिंधी समाज को प्रभावित करने की गरज से भाजपा ने यहां पार्टी के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी (Bhagwan Das Sabnani) को चुनावी मैदान में उतारा है। उल्लेखनीय है कि यहां मध्य प्रदेश शासन (Madhya Pradesh Government) के पूर्व कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा (PC Sharma) कांग्रेस प्रत्याशी हैं। यह उनका परंपरागत चुनाव क्षेत्र बताया जाता है।
कहानी कुछ यूं है कि हुजूर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने पूर्व विधायक रामेश्वर शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया तो कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के रूप में नरेश ज्ञानचंदानी को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। इससे हुजूर क्षेत्र के निवासी सिंधी समुदाय के मतदाताओं के कांग्रेस की ओर शिफ्ट होने की संभावनाएं बलवती हो गई हैं। ऐसे में भाजपा के सामने एक ही रास्ता रह गया कि उसकी ओर से भी सिंधी समुदाय के प्रत्याशी की घोषणा की जाए। किंतु भाजपा की ओर से हुजूर प्रत्याशी घोषित हो चुके रामेश्वर शर्मा को बदलना नामुमकिन ही था।
तब विकल्प यह खोजा गया कि राजधानी के किसी भी एक विधानसभा क्षेत्र में सिंधी समुदाय के व्यक्ति को भाजपा प्रत्याशी बनाकर उतारा जाए। ताकि सिंधियों को कांग्रेस की ओर एकमुश्त शिफ्ट होने से रोका जा सके। ऐसे में पार्टी की नजर दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र पर पड़ी, जहां अभी भाजपा प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया था। बस फिर क्या था, भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी को अधिकृत उम्मीदवार बनाकर दक्षिण पश्चिम भोपाल विधानसभा क्षेत्र के चुनाव मैदान में उतार दिया। जो कांग्रेस प्रत्याशी पीसी शर्मा को टक्कर देने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं।
लेकिन कांग्रेसी नेता दक्षिण पश्चिम के मतदाताओं को भाजपा का यह राजनीतिक गुणा भाग बता कर समझा रहे हैं कि उक्त पार्टी पहले विभिन्न जाति, समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत करती है। उनके साथ अन्याय करती है, और जब स्वयं का नुकसान होने लगता है तो ऐसे प्रयोग करती है जैसा उसके द्वारा दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में किया गया है। इन परिस्थितियों ने जहां भाजपा प्रत्याशी भगवान दास सबनानी के समक्ष राजनैतिक परेशानियां खड़ी कर दी हैं, तो वहीं कांग्रेसियों को बैठे-बिठाए ऐसा मुद्दा मिल गया है जिसके सहारे वह अपनी चुनावी स्थिति मजबूत करने में जुट गए हैं। अब देखना यह है कि परिस्थितिजन्य भाजपा की भूल सुधार कांग्रेस को मिल रही मजबूती का किस प्रकार शमन कर पाती है। देखना उचित रहेगा की 17 नवंबर को क्षेत्र की जनता किसे अपना जन प्रतिनिधि चुनने का फरमान सुनाती है।
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