मोहनलाल मोदी
भोपाल। चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद नौकरशाही और खासकर पुलिस बल का उत्साह सातवें आसमान पर है। नेता और जनप्रतिनिधि चुनाव में बिजी हैं। फल स्वरुप अब इन्हें रोकने वाला कोई नहीं। एक प्रकार से प्रदेश को नौकरशाही ही चला रही है। हालांकि कई मायनो में परिणाम उत्साह जनक भी हैं। ढेर सारा सोना चांदी, नगदी और नशे का सामान जप्त हो रहा है। इसमें कुछ बेनामी है तो काफी माल बेमानी भी पकड़ में आ रहा है। यहां तक तो सब ठीक है। लेकिन इस जायज कार्रवाई से इतर चार पहिया वाहनों के मालिक ट्रैफिक पुलिस, यातायात विभाग और जनरल पुलिस बल से हलाकान हैं। कारण यह बताया जाता है कि अधिकांश जिलों में बाहरी वाहन मालिकों से भारी पैमाने पर वसूली किया जाना। आलम यह है कि चेकिंग के दौरान कुछ भी आपत्तिजनक न मिलने पर चेकिंग करने वाला दस्ता रजिस्ट्रेशन, परमिट, फिटनेस, लाइसेंस और कुछ नहीं तो पीयूसी जैसी जांचों पर उतर आता है। इस सब के बावजूद वाहन चालक को मजबूर किया जाता है कि वह जान छुड़ाना चाहता है तो भेंट पूजा देकर आगे बढ़े। अनुभवी वाहन चालक अथवा मलिक ऐसा कर भी रहे हैं। साहब कुछ ले देकर छोड़ दो, जैसे ही यह पेशकश जांच दल के सामने आती है, फौरन रशीद कट्टे हाथ में आ जाते हैं। जब उनकी राशि सहनशक्ति के बाहर जाने लगती है तब मामला मोल भाव के मोड में आ जाता है। आखिर कुछ हजार ले-देकर वहां को रवानगी दे दी जाती है। अनेक वाहन मालिकों और चालकों ने इस बात का दावा किया है कि लगभग अधिकांश जिलों में दूसरे जिलों से आने वाले वाहनों को खास तौर पर टारगेट किया जा रहा है। यह बात सही भी है कि अपने घर से दूर हर व्यक्ति की ताकत और पहुंच काफी हद तक कम हो जाती है। अतः दूसरे जिले का व्यक्ति किसी भी प्रकार ले देकर जान छुड़ाना चाहता है, और वही हो भी रहा है। दिक्कत यह है कि एक चौराहे अथवा नाके को पूजने के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि दूसरा चौराहा या नाका आपको रोकेगा नहीं। जाहिर है यहां लपेटे में आए तो पूजा अर्चना दोबारा करनी होगी। इस ज्यादती से यातायात विभाग, पुलिस विभाग और प्रशासनिक हलके के आला अधिकारी ना वाकिफ होंगे, यह नहीं माना जा सकता। लिहाजा प्रदेश स्तर के चुनाव पदाधिकारी को इस बाबत अतिरिक्त सतर्कता अपनाए जाने की आवश्यकता है।
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