गुना। पन्द्रह दिवसीय दीपोत्सव महापर्व की भव्य पूर्णाहूति देव प्रबोधिनी एकादशी पर देव जाग्रत करने के साथ संपन्न होगी। विराट हिन्दू उत्सव समिति के प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक भारतीय संस्कृति में देव उठनी ग्यारस का विशेष महत्व है। हर शुभ कार्य का शुभारंभ देव प्रबोधिनी से करना विशेष शुभ माना जाता है। प्रत्येक प्राणी में आत्मतत्व विद्यमान है। अंदर सोऐ हुए देव को जाग्रत कर सृष्टि के विकास में सहायक बनना प्रत्येक मानव का कर्तव्य है। आत्मतत्व को जाग्रत करने से ही अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए सनातन धर्म के तहत प्रत्येक परिवार में देवों को जाग्रत कर जीवन की नई शुरूआत की जाती है। देव उठनी ग्यारस के तहत अंचल में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हिउस प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक सभी धार्मिक केंद्रों पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाएगी एवं संध्याकाल प्रबोधिनी एकादशी महोत्सव के तहत देवों को जाग्रत किया जाएगा।
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*#लाखों भक्तों ने अन्नकूट में महाप्रसादी ग्रहण की, पन्द्रह दिवसीय दीपोत्सव की होगी पूर्णाहूति*
*कोई भी प्राणी भूखा न रहे इसी भावना के साथ अन्नकूट आदि महोत्सव संपन्न होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि अंचल से मिली जानकारी के मुताबिक 500 स्थानों पर 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दस दिवसीय अन्नकूट महोत्सव में महाप्रसादी ग्रहण की। अकेले गुना शहर में प्रतिदिन औसतन 10 स्थानों पर विशाल अन्नकूट के भंडारे संपन्न हुए। गुना शहर में करीब पांच लाख लोगों ने महाप्रसादी ग्रहण की। अन्नकूट के अंतिम दिवसों पर जयस्तंभ चौराहा, हनुमान चौराहा, दुर्गा मंदिर, उदासी आश्रम, पठार मोहल्ला, कलेक्टोरेट सदर बाजार सहित अन्य स्थानों पर विशाल भंडारे संपन्न हुए। वहीं मंडी, बजरंगगढ़, टेकरी, बूढ़ेबालाजी सहित शहरभर में हुए बड़े अन्नकूट में 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने महाप्रसादी ग्रहण की। अंचल के बमोरी, गुना ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पुष्टिभक्ति केंद्रों सत्संग मंडलों में भी श्री ठाकुर जी को छप्पन भोग की महाप्रसादी का भोग लगाया गया। बमोरी अंचल के करीब एक सैकड़ा स्थानों पर एक लाख श्रद्धालु शामिल हुए।
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