कांग्रेस की पहली सूची में प्रदेश के नाम रहे नदारद, क्या दूसरी में मध्य प्रदेश के नेताओं को मिलेगा स्थान?"
शब्दघोष। भोपाल। कांग्रेस ने पहली सूची में 39 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है, लेकिन मध्य प्रदेश के नेताओं का नाम इसमें नहीं शामिल है। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश में भी चुनावी उम्मीदवारों का इंतजार बढ़ा है। कुछ सूत्रों के मुताबिक, इस स्थिति के बावजूद कांग्रेस के नेताओं की उम्मीदें अब भी बरकरार हैं कि दूसरी सूची में उनका नाम आ सकता है।
जब से चुनावी बिगुल बजा है तब से ही मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट चर्चा का विषय रही है बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने तो गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारकर अपना तुरुप का इक्का फेंक दिया है। परंतु कांग्रेस के पास अभी तक इस दाव का कोई जवाब नहीं है। बता दें कि भाजपा ने वर्तमान सांसद केपी सिंह यादव का टिकिट काटकर वर्तमान केन्द्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकिट दिया है। इसके बावजूद कांग्रेस में अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
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वहीं सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, सियासी गलियारों में एक चर्चा यह भी चल रही है कि कांग्रेस गुना से सिंधिया के सामने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अरुण यादव को भी अपना प्रत्याशी बना सकती है। पूर्व में वह पहले ही सिंधिया के विरुद्ध चुनाव लड़ने की चुनौती को स्वीकार कर चुके हैं। कांग्रेस में अरूण यादव उन नेताओं में माने जाते हैं जिन पर अभी तक दलबदल के ट्रेंड का असर नहीं दिखा है। हाल ही में उन्होंने यादव समाज के कई वरिष्ठ नेताओं की कांग्रेस में सदस्यता कराई थी। हालांकि उनका चेहरा राजनीति में अब तक बहुत अच्छे तरीके से पहचाना नहीं गया है।
प्रदेश में इस मुद्दे पर भी चर्चा है कि कांग्रेस द्वारा सूची से मध्य प्रदेश के नेताओं को बाहर रखने का क्या कारण हो सकता है, और क्या इसमें क्याा चुनावी रणनीति छुपी है। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक, कांग्रेस चाहती है कि सिंधिया के सामने एक ऐसा चेहरा हो जो जनता के बीच अधिक संपर्क में हो और पार्टी को उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश में भी मजबूती प्रदान कर सके।
दिल्ली में होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद तय होगा कि क्या मध्य प्रदेश के नेताओं को दूसरी सूची में शामिल किया जाएगा या नहीं। इससे पहले कांग्रेस की चुनाव समिति ने पहली सूची में 39 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है, जो चुनावी मैदान में उतरेंगे। चुनावी युद्ध की तैयारी में, कांग्रेस अपनी रणनीति को और मजबूती से बनाए रखने का प्रयास कर रही है, जिससे उन्हें लोकसभा चुनाव में मूंह की न खानी पड़े, जिस तरह वह पहले ही विधानसभा चुनावों में अनुभव ले चुके है।
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