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लोकसभा चुनाव: भाजपा ने चुरू से सांसद राहुल कस्वां का टिकट काटा, दिखाये बगावती तेवर

राहुल कस्वां का टिकट काटने पर असंतुष्टि


शब्‍दघोष, नई दिल्‍ली। लोकसभा चुनाव के कदमों में भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है, जिसमें चुरू से सांसद राहुल कस्वां के टिकट को काट दिया गया है। इसके परंतु, टिकट काटने पर कस्वां ने पार्टी के प्रति अपनी असंतुष्टि जताई है, जिससे उनके बीते कुछ समय से कांग्रेस के प्रति अंतर्निहित आसपासपासी के संकेत मिल रहे हैं। 


चुरू से दो बार लोकसभा सांसद रहे राहुल कस्वां को इस बार टिकट नहीं मिला है, जिसके कारण उन्होंने पार्टी के फैसले पर सवालधारित किए हैं। उनके इस निर्णय के पीछे के कारणों को लेकर वह सोशल मीडिया पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में यह सवाल उठाया है कि क्या उनकी मेहनत, निष्ठा, और कामकाजी योजनाओं में सक्रिय भागीदारी के बावजूद उन्हें टिकट क्यों नहीं मिला। 

कांग्रेस ने राहुल कस्वां को उम्मीदवार बनाने का संकेत दिया

राहुल कस्वां के टिकट काटने पर कांग्रेस ने मौके का लाभ उठाते हुए अपना हाथ बढ़ा दिया है। पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार बनाने का संकेत दिया है, जिससे चुरू सीट पर टकराव कठिन हो सकता है। कांग्रेस के बीकानेर जिला अध्यक्ष बिशनाराम सियाग ने कहा है कि अगर राहुल कस्वां कांग्रेस से चुनाव लड़ते हैं, तो वह 100 फीसदी जीत हासिल करेंगे।

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भाजपा ने राजस्थान में अपनी पहली सूची में कई मौजूदा सांसदों की जगह नए चेहरों को मौका दिया है, जिससे पार्टी ने एक नए दिशा सूचित की है। हालांकि, इस फैसले से कुछ नेता असंतुष्ट हो सकते हैं, लेकिन भाजपा ने इसे एक उन्नति की दिशा में देखा जा रहा है। राहुल कस्वां ने सोशल मीडिया पर अपनी असंतुष्टि का अभिव्यक्ति करते हुए अपने भविष्य की बात की है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा है कि वह जल्द ही आपके बीच उपस्थित रहेंगे और उनकी अगली कदमों की सूचना शीघ्र ही दी जाएगी। इससे उनके भविष्य के लिए एक स्पष्ट संकेत मिलता है कि वे इस बदलते सीनेरियो में कैसे कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ेंगे।

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कस्वां परिवार, जो जाट समुदाय से है, चुरू में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं। राहुल कस्वां के पिता, राम सिंह कस्वां, भी इस सीट से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। वे 1999, 2004 और 2009 में चुरू से जीत दर्ज कर चुके हैं। इससे साफ है कि चुरू में कस्वां परिवार का बड़ा प्रभाव है और इससे वहां के चुनावी मैदान में बदलाव का मौका बना रहा है। फिलहाल राहुल क्‍या निर्णय लेते हैं, यह स्‍पष्‍ट नहीं है। देखना होगा कि वह कांग्रेस का हाथ थामते हैं या निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में भाजपा के लिए परेशानी पैदा करते है। 

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