विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश आदि मंगल कार्य पूरी तरह वर्जित होलाष्टक के
दौरान प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश
शब्दघोष, भोपाल:इस बार होली के पहले होलाष्टक 17 मार्च से शुरू हो रहा है, जो फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होगा और पूर्णिमा तक चलेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दौरान मंगल कार्यों को पूरी तरह से रोका जाएगा। इस समय में विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, आदि शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
होलाष्टक, जिसे होलिका अष्टक भी कहा जाता है, इस बार 17 मार्च से शुरू हो रहा है और होली के पूर्णिमा तक रहेगा। इस दौरान, प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और इसलिए शादी-विवाह और अन्य मंगल कार्यों का निषेध है। ज्योतिषाचार्य राजबिहारी शास्त्री ने बताया कि इस समय बच्चों के साथ विशेष प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाए जाएं, और पूजा-पाठ करना विशेष महत्वपूर्ण है।
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शास्त्री जी ने यह भी बताया कि अबीर और गुलाल के साथ भगवान राम और कृष्ण को पूजन करना चाहिए और इस दौरान पूरे समुदाय को मिलकर शान्ति और समृद्धि की कामना करनी चाहिए। इस दौरान भगवान प्रहलाद की यातना की गई थी, इसलिए इसे बच्चों के साथ पूरी श्रद्धा और प्रेम के साथ मनाना चाहिए। इस बार की फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9:57 बजे से शुरू होगी और अगले दिन 25 मार्च को दोपहर 12:29 बजे को समाप्त होगी। शास्त्री जी ने आगे भी बताया कि होली के बाद ही शुभ कार्यों का आरंभ करना शुभ रहेगा।
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