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भोपाल से कांग्रेस की नई चुनौती: क्या अरुण श्रीवास्तव भाजपा के गढ़ को भेद पाएंगे?

 

शब्‍दघोष,भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी और भाजपा के मजबूत किले भोपाल लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को उतारा है। पिछले 35 वर्षों से भाजपा के अभेद्य दुर्ग के रूप में रही इस सीट पर कांग्रेस ने चौथी बार नया उम्मीदवार दिया है। अरुण श्रीवास्तव, जो कि दिग्विजय सिंह गुट के प्रमुख चेहरे माने जाते हैं, के सामने भाजपा के 35 वर्षों का विजयी इतिहास एक बड़ी चुनौती है।

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चुनावी समर में श्रीवास्तव: श्रीवास्तव, जिन्होंने भोपाल ग्रामीण क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है, इस बार कांग्रेस की ओर से भोपाल सीट पर उम्मीदवार हैं। उनकी ग्रामीण क्षेत्र में गहरी पैठ और अन्य समाजों में भी अच्छी छवि को देखते हुए कांग्रेस ने उन पर दांव लगाया है।

भाजपा का प्रत्याशी: भोपाल से भाजपा ने पूर्व महापौर आलोक शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है, जो कि शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं। शर्मा दो बार विधानसभा चुनाव में भी उतर चुके हैं, हालांकि दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है।

कांग्रेस की चुनौती: भोपाल सीट पर कांग्रेस का आखिरी विजयी अभियान 1984 में था, जब केएन प्रधान सांसद चुने गए थे। तब से भाजपा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाए रखा है। कांग्रेस के लिए यह सीट एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, और इस बार उनकी नजरें इस गढ़ को भेदने पर हैं।

आगामी चुनावों में श्रीवास्तव की क्षमता और भाजपा के गढ़ को भेदने की उनकी रणनीति पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। क्या वे भाजपा के इस दुर्ग को फतह कर पाएंगे, यह तो 7 मई को मतदान और 4 जून को चुनाव परिणामों के बाद ही पता चलेगा। इस चुनावी दंगल में दोनों प्रमुख पार्टियों की रणनीति और उम्मीदवारों की लोकप्रियता का असली परीक्षण होगा।



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