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सुप्रीम कोर्ट ने 78 वर्षीय बुजुर्ग महिला को डाक मतपत्र से मतदान की अनुमति देने से किया इनकार

मतदान हो चुका है, मतगणना से पहले पोस्टल मतदान संभव नहीं

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शब्‍दघोष, नई दिल्ली, 20 मई । सुप्रीम कोर्ट ने बीमारी के चलते घर से मतदान की सुविधा की मांग करने वाली 78 वर्षीय बुजुर्ग महिला को राहत देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने प्रशासन को इस संबंध में कोई निर्देश जारी करने से मना कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि 80 वर्ष से कम आयु और अस्थायी विकलांगता वाले व्यक्तियों को यह सुविधा प्रदान नहीं की जा सकती है।

कोर्ट का निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की इस बुजुर्ग महिला की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि 80 वर्ष से कम आयु और अस्थायी विकलांगता वाले लोग घर से मतदान की सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते। महिला के क्षेत्र में मतदान पहले ही हो चुका है और मतगणना से पहले पोस्टल मतदान की मांग पर कोर्ट ने कोई राहत देने से मना कर दिया।

याचिका का आधार: बिलासपुर की 78 वर्षीय महिला, जो बीमारी के कारण बिस्तर पर है, ने चुनाव आयोग को याचिका दायर कर लोकसभा चुनाव में डाक मतपत्र से वोट डालने की अनुमति देने की मांग की थी। महिला की ओर से कहा गया था कि उनकी स्थिति को देखते हुए उन्हें मतदान के नियमों के आधार पर राहत मिलनी चाहिए।

मामले का विवरण:महिला की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि वह गंभीर बीमारी के चलते अपने घर से बाहर नहीं जा सकती और इसी कारण उन्होंने चुनाव आयोग से डाक मतपत्र से वोट डालने की अनुमति की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने उनके इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया और उन्हें यह सुविधा नहीं दी।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि 80 वर्ष से कम आयु और अस्थायी विकलांगता वाले व्यक्तियों को डाक मतपत्र से वोट डालने की सुविधा नहीं मिल सकती है। कोर्ट के इस फैसले ने भविष्य में इसी प्रकार के मामलों के लिए एक मिसाल कायम की है, जहां 80 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को घर से मतदान की सुविधा प्राप्त करने के लिए विशेष परिस्थितियों को भी मान्यता नहीं दी गई है।


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