मध्य प्रदेश भाजपा के संगठन और सत्ता, दोनों जुझारू
केंद्र को समर्पित 29 कमल के फूलों की माला
भोपाल, मोहनलाल मोदी।
मध्य प्रदेश भाजपा ने आम चुनाव के जो परिणाम अपने केंद्रीय नेतृत्व को दिए हैं, वो यह सिद्ध करते हैं कि यहां की भाजपा हो अथवा भाजपा शासित सरकार, दोनों ही स्वभाव से संघर्षशील हैं। इसी के चलते मध्य प्रदेश के भाजपा नेताओं ने अपने केंद्रीय नेतृत्व को 29 कमल के फूलों की माला भेंट करने में सफलता प्राप्त कर दिखाई है। यदि विस्तृत विश्लेषण करें तो तो निष्कर्ष निकाल कर आता है कि यदि कार्यकर्ता, संगठन और सरकार एक बार ठान लें तो फिर कोई भी लक्ष्य प्राप्ति से दूर नहीं रह जाता।
जैसे डॉक्टर मोहन यादव को ही लें। उन्होंने मात्र 5-6 महीने पहले मुख्यमंत्री का पदभार संभाला ही था, तभी देशभर में आम चावन की सुझबुगाहट शुरू हो गई। कांग्रेस कुछ सोच समझ पाती और विधानसभा चुनाव में अपनी हार का विश्लेषण कर पाती, इसके पहले ही डॉक्टर मोहन यादव मिशन 29 की सफलता हेतु सक्रिय हो गए। उनकी यह सक्रियता मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह से शुरू होकर आम चुनाव के अंतिम चरण तक बनी रही। सबसे खास बात यह रही की डॉक्टर मोहन यादव ने केवल मध्य प्रदेश ही नहीं, वरन देश के अनेक प्रांतो में भाजपा का चुनाव प्रचार किया। इधर मध्य प्रदेश में भी मिशन 29 पर नजर जमाए रखी। नतीजा सार्वजनिक है। भाजपा ने मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप करते हुए सभी 29 सीटें अपने केंद्रीय नेतृत्व की झोली में डाल दीं।
दूसरे क्रम पर आते हैं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। जाहिर है, प्रदेश भाजपा द्वारा पिछला विधानसभा चुनाव इन्हीं के नेतृत्व में लड़ा गया। चुनाव संपन्न होते ही चर्चाएं चल पड़ीं कि अब शायद ही उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाए। अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बात की परवाह किए बगैर शिवराज सिंह चौहान ने सबसे पहला दौरा छिंदवाड़ा का ही किया। मीडिया द्वारा पूछे जाने पर उनका सटीक जवाब था कि मुख्यमंत्री कोई भी बने। मेरा लक्ष्य है आगामी आम चुनाव में 29 कमल के फूलों की मला देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित की जाएं। सभी जानते हैं यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि भाजपा पिछले आम चुनाव में मध्य प्रदेश की 28 सीटें जीत चुकी थी। लेकिन छिंदवाड़ा का कांग्रेसी किला हमेशा की तरह अभेद ही बना रहा। संभवत उस एक सीट के हाथ से निकल जाने की कसक शिवराज सिंह चौहान के मन में बनी रही। बाद में इसे व्यापक रूप से प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के मन में बैठा दिया गया। शिवराज सिंह चौहान भी ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने छिंदवाड़ा समेत समूचे मध्य प्रदेश के चुनावी परिदृश्य को प्रभावित किया। इसके अलावा प्रांत के बाहर जाकर भी पार्टी हित में बढ़-चढ़कर चुनाव प्रचार किया। उनकी मामा वाली छवि देशभर में भाजपा के लिए लाभदाई सिद्ध हुई। इस बीच भाजपा ने उन्हें उनकी पूर्व की परंपरागत सीट विदिशा से लोकसभा प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। राष्ट्रीय चुनाव प्रचार में दायित्वों के चलते शिवराज सिंह चौहान विदिशा के अपने चुनाव में बहुत कम समय ही दे पाए। इसके बावजूद शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता के चलते देश भर में तो भाजपा को यथासंभव लाभ मिला ही, मध्य प्रदेश की विदिशा सहित सभी 29 सीटें भगवा रंग में रंगी जा सकीं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा खजुराहो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। इसके बावजूद उन्होंने सभी 29 सीटों पर फोकस बनाए रखा और सांगठनिक स्तर पर जरा सी भी ढील नहीं आने दी। यह भी तथ्य गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान की तरह विष्णु दत्त शर्मा भी अपने चुनाव क्षेत्र खजुराहो को बहुत ज्यादा समय नहीं दे पाए। केंद्रीय व्यवस्था के तहत उन्हें मध्य प्रदेश के बाहर भी चुनाव प्रचार के लिए जाना पड़ा। फिर भी उन्होंने अपनी खजुराहो सीट तो जीती ही, साथ में मध्य प्रदेश की 29 की 29 सीटें जीतने का ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया।
प्रदेश स्तर पर संगठन के दिशा निर्देशों के तहत कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को कैसे बांधा जाए। उनकी योग्यता का किस प्रकार पार्टी हित में दोहन हो। यह काम प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने बखूबी संभाला। मंचों और माइकों की चकाचोंध से दूर रहकर इन दोनों भाजपाई पदाधिकारियों ने प्रदेश भर के भाजपा जनों को लगातार नए लक्ष्य और चुनावी प्रशिक्षण दिए। कैसे विपक्षी चक्रव्यूहों का भेदन होगा, उसे रणनीति से अवगत कराया। कार्य सिद्धि को प्राप्त हों, इसके लिए प्रदेश भर के दौरे भी किये। प्रदेश स्तर पर भी अनेक प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर जमीनी पार्टी जनों को जीत के गुर सिखाए। नतीजा सभी के सामने है। प्रदेश भर के भाजपा कार्यकर्ता, पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि, मेहनत में जुट गए और सब ने मिलकर प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर दिखाई।
केंद्र और प्रदेश कि भाजपा नेतागण क्या रणनीति बनाते हैं? इसे कैसे नीचे तक पहुंचाया जाए? इस कार्य को सुचारू रूप से पूर्णता प्रदान करने में जिस व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण भूमिका रही, उनका नाम भाजपा के प्रदेश कार्यालय मंत्री डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा है। डॉ राघवेंद्र शर्मा ही वह शख्स हैं जिनके पास महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदेश नेतृत्व द्वारा गोपनीयता के साथ भेजी जाती थीं । उधर डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा पूरी एहतियात के साथ पूर्ण सूचनाओं को अपेक्षित नेताओं तक सफलतापूर्वक भेजने के उपक्रम में लगे रहे। कब कहां कैसे बैठक होगी ? कहां कहां और कब प्रशिक्षण शिविर लगेंगे ? कौन-कौन लोग किस स्थान पर अपेक्षित हैं? इन्हें किन अनुशासनों से बंध कर अपने कार्य को अंजाम देना है। इन महत्वपूर्ण सूचनाओं और जानकारियों के कुशल संवाहक डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा बने रहे। पूरे प्रदेश भर में चुनाव प्रचार, रैलियां ,जनसंपर्क की भाग दौड़ तथा चहल पहल एक प्रकार से जमीन आसमान को कंपायमान करती रहीं ।लेकिन दूसरी ओर भाजपा का प्रदेश कार्यालय सुचारू रूप से संचालित बना रहे। पार्टी द्वारा स्थापित अनुशासन जरा सा भी विचलित ना हो। वहां तयशुदा कार्यक्रम बगैर किसी दुष्प्रभाव के पूर्णता पाते चले जाएं। इस कार्य को भी डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा ने बखूबी निभाया। वैसे भी किसी पार्टी का प्रदेश कार्यालय उसका हृदय और मस्तिष्क ही होता है। जब यह महत्वपूर्ण कार्य स्थल पूरी निष्ठा व समर्पण के साथ कार्य करता है तो फिर सकारात्मक परिणाम अपेक्षित हो ही जाते हैं। वही हुआ, प्रदेश भाजपा कार्यालय अपने प्रभाव क्षेत्र के 29 लोकसभा क्षेत्रों में कमल का फूल खिलाने में सफल साबित हुआ।
मध्य प्रदेश भाजपा के संयुक्त प्रयासों से प्राप्त ऐतिहासिक सफलता के लिए उसके सभी पदाधिकारी गण, कार्य कर्ताओं, जन प्रतिनिधियों की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। इसके लिए उन सभी को ढेर सारी मंगल कामनाएं।
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