सुप्रीम कोर्ट के बाद फिर हाई कोर्ट पहुंचा मंदिर मस्जिद का विवाद
धार, शब्दघोष। यहां के भोजशाला परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खडपीठ में पेश कर दी है। एएसआई के अधिवक्ता हिमांशु जोशी ने बताया कि हाई कोर्ट में 2000 पन्नों की रिपोर्ट पेश की गई है। एएसआई ने सर्वे 22 मार्च से शुरू किया था जो 98 दिनों तक चला था। वहीं हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ता का दावा है कि एएसआई सर्वे में भोजशाला में देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। दूसरी ओर हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की और एमपी हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक के खिलाफ जल्द सुनवाई की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने भरोसा दिया कि वो इस मामले को देखेंगे। बता दें कि एक अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच द्वारा आगे सुनवाई पर रोक लगा दी थी। हालांकि एएसआई सर्वे को हरी झंडी दे दीथी। याचिकाकर्ता के वकील विष्णु जैन ने अदालत को बताया कि अब हाईकोर्ट में एएसआई रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करे। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' नामक संगठन की अर्जी पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था.भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा, जो हिंदुओं के प्रतिनिधि के रूप में सर्वेक्षण के दौरान मौजूद रहे उन्होंने दावा किया था कि एएसआई को भगवान शिव और वासुकी नाग की पौराणिक मूर्तियों सहित कई पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। सर्वेक्षण के दौरान, 1,700 से अधिक कलाकृतियां उजागर हुई हैं, जिनमें कई मूर्तियां, संरचनाएं, स्तंभ, दीवारें और भित्ति चित्र शामिल हैं। एएसआई ने परिसर की खुदाई के दौरान पाए गए पत्थरों, खंभों का 'कार्बन डेटिंग' सर्वेक्षण भी किया। संपूर्ण सर्वेक्षण प्रक्रिया उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए और दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की गई थी। वर्तमान में विवादास्पद परिसर एएसआई के संरक्षण में है और हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार को परिसर में वाग्देवी की पूजा करने की अनुमति है। जबकि मुसलमानों को प्रत्येक शुक्रवार को परिसर के एक तरफ स्थित मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति है। आप सभीकी नजर हाई कोर्ट की ओर लगी हुई हैं।
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