कुछ नेताओं की मीडिया से अपेक्षाएं दिनों दिन बढ़ रही हैं। अपेक्षाएं भी ये कि हमारे खिलाफ ना कुछ बोलोगे ना कुछ लिखोगे। यदि कुछ किया तो आपको ठीक करेंगे। ऐसे ही एक नेता ब्यावरा के अंजुमन सदर हैं, श्री इकबाल हुसैन साहब। इनकी कार्य प्रणाली को लेकर लगभग 18 जून को एक समाचार ब्यावरा शहर के ही इमरान अंसारी द्वारा जारी किया गया। मुझे लगता है वह समाचार ना तो समाज के खिलाफ था, ना ही मुसलमानियत के। क्योंकि समाचार लिखने और उसे जारी करने वाला भी एक मुसलमान ही था। इसलिए वह मुसलमानियत और मजहब के खिलाफ तो कतई नहीं जाएगा, ऐसा मेरा सोच है। हां, यह बात स्पष्ट है कि उसने अंजुमन सदर इकबाल हुसैन की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए थे, यह सवाल उचित थे अथवा अनुचित, यह इमरान अंसारी और इकबाल हुसैन से बेहतर कोई नहीं जानता। लेकिन इकबाल हुसैन साहब ने उक्त खबर को मुसलमान समाज के खिलाफ, समाज में विवाद पैदा करने वाला, शांति भंग करने वाला बताया और इमरान अंसारी के खिलाफ एक लिखित आवेदन पुलिस थाना ब्यावरा में दे दिया। इसके बाद इमरान अंसारी के आसपास कितना दबाव, आतंक, भय का वातावरण बरपाया गया होगा, वह इस बात से तस्दीक हो जाता है कि इमरान ने अपने ही चैनल पर अपने खिलाफ क्या कुछ नहीं बोला? उसने कहा मैं गलत हूं, मैंने गलत समाचार चलाया, मैं आइंदा ऐसा कुछ नहीं करूंगा, मैं क्षमा प्रार्थी हूं, मैंने अपने चैनल पर जो खबर चलाई वह गलत और बे बुनियाद थी। उससे वातावरण दूषित हुआ।
जाहिर है, इस प्रकार की बातें, जिन्हें सैकड़ो हजारों लोग सुनने वाले हों, कोई भी सार्वजनिक रूप से तब तक नहीं बोलता जब तक वह बुरी तरह भयाक्रांत ना हो जाए। लेकिन इमरान ने बोली और प्रसारित भी की, यानि वह बुरी तरह डरा हुआ था। आईके24 चैनल के इसी प्रसारण में स्वयं इकबाल हुसैन ने अपना बयान रिकॉर्ड करवाते हुए कहा कि आईके 24 पर चला समाचार गलत बेबुनियाद और भ्रामक था। हमने ब्यावरा थाने में शिकायत की। पुलिस ने संज्ञान लेकर इस बाबत कार्रवाई की। इमरान अंसारी को थाने में तलब किया गया। थाने में पुलिस के सामने, अंजुमन के सदस्यों के सामने, समाज के गणमान्य लोगों के सामने इमरान अंसारी ने माफी मांगी और कहा कि खबर सरासर गलत थी, अब ऐसा कभी नहीं करूंगा।
इमरान अंसारी से मेरी भी बात हुई, तो उसने केवल इतना कहा कि आपको जो दिखे सो करो। मैं अब इस बारे में कुछ नहीं बोलूंगा। यदि आप मेरी और मेरे परिवार की सलामती चाहते हैं तो आइंदा इस बारे में मुझसे कभी भी कुछ भी नहीं पूछेंगे। मुझे यहीं पर रहना है। बात साफ है और मुस्लिम समाज के साथ-साथ पुलिस को ये पता होना चाहिए कि इमरान अंसारी डरा हुआ है। ये डर किसका है? इमरान अंसारी का कोई अनिष्ट हो अथवा कोई उसका अनिष्ट कर दे, इसके पहले इस बात की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
अब बात करते हैं शब्दघोष और मोहनलाल मोदी की। इकबाल हुसैन ने इनके खिलाफ ब्यावरा थाने में आवेदन दिया है। इमरान अंसारी की तरह ही शब्दघोष और मोहनलाल मोदी पर भी इकबाल हुसैन ने आरोप लगाए हैं कि इन्होंने भी भ्रामक, बे बुनियाद और झूठी खबर प्रसारित की। यह अंजुमन और अन्य कमेटियों के बीच विवाद करने की साजिश है। उन्होंने इसी शिकायत में पत्रकार इश्तियाक नबी खान का नाम भी लिखा है। लेकिन मैं उनके बारे में बात नहीं करूंगा। अपने कथन के बारे में वे स्वयं स्पष्टीकरण देने हेतु सक्षम हैं।
पहली बात तो यह कि इकबाल हुसैन जिस कंटेंट को खबर बता रहे हैं, वह खबर है ही नहीं।
वह एक साक्षात्कार है, जिसमें विषय वस्तु को लेकर मेरे द्वारा सवाल किए गए हैं। इसमें एक भी सवाल ऐसा नहीं है जिससे किसी समाज अथवा मजहब को ठेस पहुंचती हो। सवाल पूछना पत्रकार का काम है। न्यायपालिका, विधायिका, और कार्यपालिका के साथ अभिव्यक्ति की आजादी मुझे सवाल करने का अधिकार प्रदान करती हैं।
दूसरी बात, इस साक्षात्कार में मेरे द्वारा किसी भी प्रकार का निष्कर्ष स्थापित नहीं किया गया है। इस बात की भी सावधानी रखी गई है कि जिसका साक्षात्कार लिया गया है, उसके मुख से ऐसी कोई बात ना निकले जिससे किसी समाज अथवा मजहब की भावनाएं आहत होती हों। हां यह बात सही है कि इश्तियाक मियां ने भी इमरान अंसारी की तरह केवल और केवल श्री इकबाल हुसैन की कार्य प्रणाली पर ही सवाल उठाए हैं। स्पष्ट है, इकबाल हुसैन अपने विरोध को, समाज और मजहब का विरोध प्रमाणित कर स्वयं के विरोधियों को ठिकाने लगाने का कुचक्र रच रहे हैं। तो स्पष्ट कर दूं मैं उनका विरोधी नहीं हूं। इश्तियाक मियां से उनके कैसे संबंध हैं? इस बाबत उन्हें कैसा व्यवहार करना है? इसके लिए वे स्वतंत्र हैं।
तीसरी बात पुलिस के लिए, मैंने इकबाल हुसैन को भी एक से अधिक बार अपनी बात रखने के लिए स्टूडियो में आमंत्रित किया है। कॉल करके और व्हाट्सएप के द्वारा भी। लेकिन खुद इकबाल हुसैन सवालों के जवाब से बच रहे हैं। शायद उनके पास सवालों के जवाब हैं ही नहीं। इसलिए उन्होंने खुद को सवालों से बचाते हुए इमरान अंसारी और इश्तियाक नबी खान की तरह अब मुझ पर भी दबाव बनाने का कुचक्र रचा है। क्योंकि अभी तक यह जनाब ऐसा ही करते रहे हैं और इत्तेफाक से सफल भी होते रहे। इसलिए इन्हें लगता है कि यह दुनिया भर के पत्रकारों को घुटनों के बल ला देंगे। तो इनका सोचना गलत है।
यदि इकबाल हुसैन को लगता है कि शब्दघोष में उनका पक्ष रखा नहीं हो पाया है या उन्हें ऐसा लगता है कि शब्दघोष पक्षपात कर रहा है, तो अब मैं मुस्लिम समाज के गणमान्य लोगों से गुजारिश करूंगा, यदि इकबाल हुसैन समाज की बात मानने वाले व्यक्ति हैं और उन्हें अपनी बुद्धिमत्ता पर भरोसा है तो आप उन्हें शब्दघोष कार्यालय आने हेतु निर्देशित करें। मैं वचन देता हूं, यदि उनके कथन देश और समाज को आहत करने वाले ना हुए तो उनकी हर बात बगैर किसी "एडिटिंग कट" के यथावत ब्रॉडकास्ट करूंगा।
याद रहे, मैं यह आग्रह भय से अथवा किसी कार्रवाई से बचने के लिए नहीं कर रहा हूं। बल्कि यह स्थापित करना चाहता हूं कि पत्रकार के लिए इकबाल हुसैन इश्तियाक नबी खान और इमरान अंसारी में से कोई भी गैर नहीं। मैं तो पत्रकारिता के प्लेटफार्म पर कुछ भी ब्रॉडकास्ट करने के पहले इन लोगों के बीच सामंजस्य कायम करना चाहता था। इसके मैंने जी तोड़ प्रयास भी किए। यह सब इकबाल हुसैन भली भांति जानते हैं। यह जानते हैं, यदि सवाल जवाब पुलिस के पुराने रिकॉर्ड को लेकर भी हुए, जो संभव है निराकृत भी हो गए हों, फिर भी इन्हें उक्त सारी सच्चाइयां कैमरे के सामने स्वीकार तो करनी पड़ेंगी। क्योंकि एक पत्रकार होने के नाते में हर चीज का "रिकॉर्ड"अपने पास रखता हूं।
चूंकि मामला पुलिस के पास गया है। वह कुछ पूछे, उसके पहले मैंने स्वयं आगे आकर अपना पक्ष रख दिया है। यह स्पष्ट करने के लिए कि मैंने इकबाल हुसैन के पक्ष से कभी परहेज नहीं किया और ना कर रहा हूं। इसके बावजूद उन्हें लगता है कि वह अपनी आदत अनुसार सामंजस्य के रास्ते पर चलने की बजाय दबाव की राजनीति करके फतह हासिल कर लेंगे, तो उनका हर प्लेटफार्म पर स्वागत है।
सकारात्मक प्रतिसाद की प्रतीक्षा में
मोहनलाल मोदी
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