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BJP ने Congress की किसान यात्रा पर पानी फेरा


म.प्र. को MSP पर सोयाबीन खरीदने की मंजूरी 
4 हजार 892 के भाव से सोयाबीन खरीदेगी सरकार 
भाजपा ने कांग्रेस की किसान यात्रा की हवा निकाली 

नई दिल्ली, एजेंसी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस द्वारा आयोजित किसान न्याय यात्रा की हवा निकालते हुए केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों को 4 हजार 892 रुपये प्रति क्विंटल के निर्धारित एमएसपी पर सोयाबीन खरीदने की अनुमति दे दी है।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मध्य प्रदेश के साथ महाराष्ट्र और कर्नाटक से भी सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद के लिए अनुरोध प्राप्त हुए थे। उनको भी मध्य प्रदेश के साथ सोयाबीन खरीदी की अनुमति दे दी गई है। 

किसानों के असंतोष को हवा दे रही कांग्रेस 
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह राज्य भी है। जहां पर सोयाबीन की गिरती कीमतों के कारण किसान आंदोलन पर उतारू हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस किसानों के असंतोष को हवा देने में जुटी हुई है। इस बाबत कांग्रेस ने किसान न्याय यात्रा का आवाहन किया तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने दावा किया था कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए वह किसानों को भ्रमित करने के असफल प्रयास में लगी हुई है। सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस कभी भी किसानों की सगी थी ही नहीं। मुख्यमंत्री ने यह भरोसा भी जलाया कि वह सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदी कराने के लिए पूर्व से ही केंद्र सरकार के संपर्क में हैं। उन्होंने भरोसा जताया था कि जल्दी ही मध्य प्रदेश में एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी शुरू हो जाएगी।

सारी तैयारियां पहले ही हो चुकी थीं 
इस बारे में जब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान से सवाल किए गए तो उन्होंने भी मुख्यमंत्री की हां में हां मिलाते हुए कहा था कि लगभग सारी तैयारियां हो चुकी हैं। अब हमें केवल प्रदेश शासन के प्रस्ताव का इंतजार है। उनका प्रस्ताव प्राप्त होते ही एमएसपी पर खरीदी घोषित कर दी जाएगी। और वही हुआ, मध्य प्रदेश शासन की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री को प्रस्ताव भेजा गया वैसे ही मध्य प्रदेश को 4 हजार 892 रुपए की दर से शासकीय स्तर पर सोयाबीन खरीदने की मंजूरी मिल गई।
चौहान ने एक बयान में कहा, "केंद्र के पास एमएसपी पर खरीद के लिए दो योजनाएं चल रही हैं और मध्य प्रदेश सरकार खरीद शुरू करने के लिए उनमें से किसी को चुनने के लिए स्वतंत्र है, हालांकि हमारी जानकारी के अनुसार, फसल के बाजार में आने में अभी समय है।"

गिर गई थी सोयाबीन की कीमत
उल्लेखनीय है कि बम्पर आपूर्ति और सस्ते खाद्य तेलों के अप्रतिबंधित आयात के कारण मध्य प्रदेश एवं पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में सोयाबीन की कीमतें कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गई थीं। कुछ सप्ताह पहले तक सोयाबीन की कीमतें 4,892 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले घटकर लगभग 3,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गई थीं, हालांकि पिछले कुछ दिनों में इसमें थोड़ी तेजी आई है।
हाल ही में राज्य में किसानों ने 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के बराबर खरीद मूल्य की मांग को लेकर क्रमिक विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। राष्ट्रीय स्तर पर इस खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवाई करीब 12.51 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर की गई है, जो फसल के सामान्य रकबे से करीब दो फीसदी अधिक है। सामान्य रकबा पिछले पांच वर्षों का औसत रकबा होता है। फसल कटाई से ठीक पहले सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट का कारण खाद्य तेलों का सस्ता आयात भी है, जिसे अब मार्च 2025 तक शून्य शुल्क पर अनुमति दी गई है।

देश में आयातित खाद्य तेलों की बाढ़
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के इस उपाय से देश में आयातित खाद्य तेलों की बाढ़ आ गई है, जिसका किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों के आधार पर पता चला है कि जुलाई 2024 में भारत ने लगभग 1.84 मिलियन टन खाद्य तेलों का आयात किया, जो जून 2024 में आयात किए गए 1.85 मिलियन टन से थोड़ा कम है।
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत ने रिकॉर्ड 1.08 मिलियन टन पाम ऑयल का आयात किया जो नवंबर 2022 के बाद से अब तक का उच्चतम स्तर है। इससे भी सोयाबीन तेल की खपत में कमी आई है जिसका नकारात्मक प्रभाव सोयाबीन के भाव पर पड़ा है।
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