प्रोजेरिया, एक ऐसी बीमारी जो अपने जटिल लक्षणों के चलते बेहद गंभीर किस्म की मानी जाती है। जैसा कि चिकित्सीय विशेषज्ञ बताते हैं - यह अनुवांशिक बीमारी भी हो सकती है। जो भी इस बीमारी की चपेट में आता है उसका शारीरिक विकास बुरी तरह अवरुद्ध हो जाता है। शरीर बाल अवस्था में ही बुढ़ापे को प्राप्त करने लगता है, जिसके चलते शारीरिक कमजोरी इस बीमारी का अभिन्न लक्षण कही जाती है। शायद इन्हीं कारणों के चलते इस बीमारी से ग्रसित लोगों की उम्र अधिकतम 10 12 साल ही मानी गई है। कुल मिलाकर यह एक ऐसी बीमारी है जिसके ढेर सारे तकलीफदेह लक्षण हैं। यही वजह है कि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति शारीरिक रूप से अविकसित भी रह जाता है। सामान्य ज्ञान के लिहाज से यह लिखना उचित रहेगा कि फिल्म "पा" में अमिताभ बच्चन ने इसी रोग से ग्रसित एक अविकसित बालक का अभिनय किया था। यही जटिल रोग जबलपुर के श्रेयांस बालमाटे की जिंदगी का मानो अभिन्न अंग बन गया था। यही कारण रहा कि श्रेयांस जब 10 वर्ष का था तब भी वह अभी अव्यवस्थित शरीर के चलते असामान्य ही दिखाई देता था। यहां मैंने श्रेयांस की उम्र 10 वर्ष इसलिए बताई, क्योंकि जब मेरा उससे परिचय हुआ तब वह इसी वय का हो पाया था। यह उन दिनों की बात है जब मैं मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का अध्यक्ष हुआ करता था। तब से लेकर आज तक, बल्कि उससे पहले भी मैं बच्चों के अधिकारों और उनके हित संबंधी कार्यक्रमों में सक्रिय बना रहा हूं। बात बालकों के स्वास्थ्य की हो, उनके संवैधानिक अधिकारों की हो, शिक्षा की हो या फिर पोषण की, ऐसे विभिन्न क्षेत्रों में मेरी सक्रियता पूर्व से ही बनी रही है। बस ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान श्रेयांस से मेरी मुलाकात हो गई। पहली नजर में ही समझ आ गया था कि वह किसी गंभीर रोग से पीड़ित है। उसकी गैर सामान्य और कमजोर शारीरिक अवस्था इस कमी की ओर स्पष्ट चुगली करती दिखाई दे रही थी। मैंने उसे अपने पास आने का संकेत किया तो वह तत्काल खुशी खुशी चला आया। मैं उसकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को सुलझाने के विषय में कितना कुछ कर पाया, इस वक्त चर्चा का विषय वह नहीं है। खास बात यह है कि इन विषम परिस्थितियों के बावजूद श्रेयांस के सपने काफी बुलंद थे। वह चाहता था कि मैं पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनूंगा। लाल बत्ती में बैठकर घूमा करूंगा। लोगों के सुख-दुख जाना करूंगा और उनकी समस्याएं दूर करूंगा। जब चिकित्सकों से उसकी बीमारी तथा बीमारी के इलाज को लेकर बातचीत की तो यह आशंका स्पष्ट रूप से सामने आ गई थी कि श्रेयांस संभवतः इस बीमारी से ज्यादा दिनों तक नहीं लड़ पाएगा। तब मैंने उसके यथा संभव उपचार को आगे बढ़ाने संबंधी दिशा निर्देश तो दिए ही, साथ में यह निर्णय भी कर लिया कि समय भले ही श्रेयांस को ज्यादा अवसर न दे, लेकिन मैं उसका सपना पूरा करने का कोई प्रयास अवश्य करूंगा। इस बीच श्रेयांस से मेल मुलाकात बनी रही। यथासंभव मैंने उसे बाल कल्याण और खेल क्षेत्र में सक्रिय देसी विदेशी दिग्गजों के सामने भी प्रस्तुत किया, ताकि उसके उपचार और विकास को लेकर संभावनाएं तलाशी जा सकें। यहां तक कि उसे उच्च स्तरीय इलाज के लिए अमेरिका भी भेजा गया। संबंधित चिकित्सक गण बताते हैं कि इस बीमारी से ग्रसित अधिकांश बच्चे 10 - 12 साल की उम्र में जिंदगी हार जाते हैं। लेकिन शायद इसी देखभाल का परिणाम रहा कि श्रेयांश लगभग 5-6 साल और अधिक जीने का साहस जुटा पाया। चूंकि अमिताभ बच्चन ने पा फिल्म में प्रोजेरिया बीमारी से ग्रसित बालक का अभिनय किया था इसलिए श्रेयांश उनसे हर हाल में मिलना चाहता था। इस बाबत भी मेरे प्रयास तब फलीभूत हुए जब श्री अमिताभ बच्चन ने कौन बनेगा करोड़पति में श्रेयांश को बतौर अतिथि आमंत्रित किया था। इस मुलाकात से श्रेयांश बहुत खुश हुआ और उसकी अपेक्षाएं मुझसे थोड़ी ज्यादा बढ़ती गईं।
फिर वह दिन भी आ गया जब 24 मार्च 2017 को बालकों के शिक्षा, खेल, विकास और स्वास्थ्य संबंधी अधिकारों को लेकर एक राज्य स्तरीय समीक्षा कार्यशाला का कार्यक्रम नियत था। वहां मैंने श्रेयांस को खास तौर पर बुलाया था। कार्यक्रम की शुरुआत से पहले ही मैंने उसे बताया कि जैसा तुम चाहते हो मैं वैसा ही करने की कोशिश में हूं। आज तुम्हें मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का एक दिन का अध्यक्ष बनाया जा रहा है। तब तुम्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा रहेगा। लाल बत्ती वाली गाड़ी में घूम सकोगे और बालकों के हित में जो भी अच्छा प्रतीत होता है, विभागीय अधिकारियों को उस आशय के निर्देश एक ऐसी बैठक में दे सकोगे जो बाकायदा संवैधानिक तौर पर आयोजित की जाने वाली है। मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष की हैसियत से तुम उस बैठक को निर्देशित करने वाले हो। यह सुनकर श्रेयांस काफी उत्साहित और प्रसन्न हुआ, वह इस अस्थाई जिम्मेदारी के लिए खुशी-खुशी तैयार हो गया। सबसे अच्छी बात यह रही की उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश के उप लोकायुक्त जस्टिस माहेश्वरी जी, हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जस्टिस कोक जी, एम पी पीएससी के अध्यक्ष अशोक पांडे जी, मंत्री विश्वास सारंग आदि उक्त विरल घटनाक्रम के साक्षी बने। श्रेयस को इन सभी की महत्वपूर्ण साक्षी में मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का एक दिन का अध्यक्ष घोषित किया गया। यहां एक वाक़या तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से श्रेयांश की मुलाकात का खास रहा। उसने शिवराज जी को समर्पित कविता में कहा -
आज मेरी भगवान से यूं ही मुलाकात हो गई।
ज्यादा तो नहीं, बस थोड़ी सी बात हो गई।।
मैंने पूछा भगवान से, प्रभु मेरे शिवराज मामा कैसे हैं।
मुस्कुरा कर बोले उनसे, दोस्ती बनाए रखना, वह बिल्कुल मेरे जैसे हैं।।
श्रेयांश के सहज सरल व्यवहार और उसके विडंबना पूर्ण स्वास्थ्य से श्री शिवराज सिंह चौहान इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस प्रोजेरिया नाम की बीमारी को शासन की सूची में शुमार किया और फिर श्रेयांश का इलाज इसी योजना के तहत निशुल्क जारी बना रहा। कह सकते हैं कि श्रेयांश ही प्रेरणा का वह स्रोत रहा जिसने मध्य प्रदेश में इस बीमारी से ग्रसित शेष बच्चों के निशुल्क इलाज की राहें आसान कर दिखाईं। खैर उस दिन विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई। श्रेयांश ने उन्हें कई निर्देश भी दिए। खास बात यह रही कि उपस्थित सभी विशिष्ट व्यक्तित्वों ने श्रेयस को खूब लाड़ दुलार किया, उसे ढेर सारे तोहफे दिए गए। उस समय श्रेयांस की आंखों में जो खुशी मैं देख पा रहा था, वह मेरे हृदय को भावनात्मक रूप से बेहद संतुष्टि प्रदान कर रही थी। यही वजह रही कि फिर हम मित्रवत हो गए और मैं समय-समय पर उसका हाल-चाल जनता रहा। बड़े ही दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि मेरा प्रिय मित्र श्रेयांस अपने रोग ग्रसित शरीर को त्याग कर, बीते रोज ईश्वर के परमधाम की ओर गमन कर गया। हालांकि में सदैव ही उसके जीवन को लेकर आशंकित बना रहा फिर भी, जब उसके निधन का समाचार मिला तो अनायास ही आंखें भर आईं और स्वयं को संयमित करने में मुझे काफी समय लगा। लेकिन नियति को कौन नकार सकता है, मन और मस्तिष्क को यह विश्वास दिलाने में अंततः सफल हो गया हूं कि अब मैं अपने प्रिय मित्र श्रेयांस को सशरीर केवल चित्रों और कल्पनाओं में ही देख पाऊंगा। हमारे सनातन ग्रंथों सत्य ही लिखा है कि परम सत्ता पर किसी का वश नहीं चलता। विधाता ने श्रेयांस का और हमारा आत्मीय साथ शायद इतना भर ही नियत किया था। अंत में द्रवित मन मस्तिष्क और नम आंखों के साथ परमपिता परमात्मा से यही प्रार्थना करता हूं कि हे ईश्वर श्रेयांस को अपने स्नेह की छांव में बनाए रखना। उसके स्वजन परिजन इस दुख से जितनी जल्दी हो सके, सहज ही उबर जाएं, उन्हें ऐसी शक्ति प्रदान करना। प्रिय दोस्त तुम ईश्वरीय स्वरूप थे और अब ईश्वर में विलीन हो गये।
लेखक वर्तमान में भारतीय जनतापार्टी के प्रदेश कार्यालय मंत्री / मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार हैं।
0 टिप्पणियाँ