Header Ads Widget

Responsive Advertisement

Ticker

6/recent/ticker-posts

अंबेडकर और संविधान की सगी नहीं कांग्रेस : डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा

डॉ राघवेंद्र शर्मा। 
वनस्पति हो अथवा जीव जंतु, इनमें एक प्रजाति परजीवी किस्म की पाई जाती है। इस प्रजाति की विशेषता यह होती है कि इसे अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना नहीं आता। यह दूसरों की ऊर्जा का शोषण कर खुद को पोषित करने में लगी रहती है। कई बार परिणाम इतने नकारात्मक देखने को मिलते हैं कि यह परजीवी प्रजाति दूसरों का शोषण कर खुद तो दीर्घायु हो जाती है, लेकिन यह जिन पर निर्भर रहती है वह वनस्पति अथवा जीव जंतु अक्सर नष्ट होते रहते हैं। यदि भारतीय परिवेश में इस तरह के किसी राजनीतिक दल की खोज की जाए तो ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। बेहद सहज भाव से यह समझ आ जाएगा की यहां बात कांग्रेस की हो रही है। जी हां, वह कांग्रेस ही तो है जो सदैव ही अपने समकक्ष अथवा स्वयं से छोटे बड़े राजनीतिक दलों का शोषण करके अपना अस्तित्व बचाती नजर आती रही है। अभी हाल ही के लोकसभा और विभिन्न राज्यों के विधानसभाओं के परिणामों पर गौर करें तो हम पाएंगे कि कांग्रेस वहां वहां चुनावी रूप से थोड़ा कामयाब रही, जहां वह अपने गठबंधन में शामिल अन्य राजनीतिक दलों की पीठ पर सवार थी। इससे वह स्वयं तो पोषित हुई, लेकिन उसके सहयोगी दल चुनावी घाटे का शिकार बनने को मजबूत रहे। यह भी गौर करने वाली बात है कि जहां-जहां कांग्रेस ने अपने बूते चुनाव लड़ा, वहां उसे भाजपा से मुंह की खानी पड़ गई। 
आशय यह कि कांग्रेस सदैव दूसरों की ऊर्जा को शोषित कर स्वयं को हृष्ट पुष्ट बनाती रही, और उन दलों के विनाश का कारण भी बनी, जिनके सहयोग से वह सफलता प्राप्त करती रही। यही बात डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लेकर संविधान विरोधी कांग्रेस द्वारा उनके नाम के दुरुपयोग करने पर भी लागू होती है। कांग्रेस ने जब चाहा तब इन दोनों का विरोध किया और जब उसे लगा कि उनके नाम की माला जप कर चुनावी बैतरणी पार की जा सकती है, तो दोनों की स्तुति से इन्हें लाज नहीं आई। आजकल कुछ ऐसा ही मध्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न प्रांतो में देखने को मिल रहा है। कुछ समय से कांग्रेस संविधान बचाने का नाटक करने और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बनावटी महिमा मंडन में लगी हुई है। पहले उसने चुनावी फायदा हासिल करने के लिए संविधान को खतरे में बताया और अब यह दुष्प्रचार करने में लगी है कि भाजपा और उसके नेता डॉ भीमराव अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं। इस बारे में विशेष रूप से केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के लोकसभा में दिए गए एक बयान को भ्रामक रूप देकर उछाला जा रहा है। जबकि सभी जानते हैं, चाहे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हों, या फिर केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह समेत पूरी भारतीय जनता पार्टी, सदैव ही डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और संविधान का सम्मान करते आए हैं। जहां तक भाजपा का मत है तो यह पार्टी स्पष्ट रूप से यह मानती है कि आज यदि हम सरकार में हैं तो इसमें जनता का आशीर्वाद तो महत्वपूर्ण है ही, संविधान द्वारा प्राप्त संवैधानिक अधिकार पहले जन संघ और फिर बाद में भाजपा को जन विरोधी कांग्रेस सरकारों से लोहा लेने का संबल प्रदान करता रहा है। लेकिन कांग्रेस की ऐसी प्रवृत्ति रही है कि वह जब झूठ बोलती है तब इस बात की चिंता नहीं करती कि उसके बारे में जनता जनार्दन क्या सोच रही होगी। उदाहरण के लिए कांग्रेस जिन बाबा भीमराव अंबेडकर और संविधान के सम्मान का दिखावा कर रही है, सही मायने में वह इन दोनों की विरोधी है और सदैव ही इनके अनिष्ट की कामना करती रही है। इस बाबत पहले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की बात करते हैं। गोलमेज सम्मेलन के इर्द-गिर्द 14 अगस्त 1931 की बात है। मुंबई के मणि भवन में डॉक्टर भीमराव और महात्मा गांधी की महत्वपूर्ण मीटिंग हुई। इसमें कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं की कार्य प्रणाली पर बेहद तीखे सवाल उठाते हुए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने महात्मा गांधी से कहा था कि इस पार्टी का दलित प्रेम और दलितों के प्रति सहानुभूति केवल और केवल दिखावा है। उनका स्पष्ट कहना रहा कि जब तक कांग्रेस और अंग्रेज दलितों के मामले से अलग नहीं हो जाते, तब तक इस वर्ग का भला हो ही नहीं सकता। 24 सितंबर 1932 को दलितों पर केंद्रित पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर हुए तब डॉक्टर अंबेडकर ने सार्वजनिक आरोप लगाए कि कांग्रेस ने दलितों के हितों से समझौता किया है। जब कांग्रेस का दलित विरोधी चेहरा खुलकर सामने आ गया तो यहीं से उन्होंने कांग्रेस से दूरी बनाना शुरू कर दी थी। यह दूरी तब स्पष्ट रूप से सामने आ गई जब संविधान सभा के गठन हेतु आयोजित चुनाव में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर चुनाव लड़े तो उन्हें हराने में कांग्रेस के दक्षिण पंथी नेताओं ने निर्णायक भूमिका निभाई। आजाद भारत में भी जब 25 अक्टूबर 1951 और 21 फरवरी 1952 के बीच 489 सीटों पर लोकसभा का चुनाव हुआ तो कांग्रेस से बुरी तरह निराश और क्षुब्ध डॉ भीमराव अंबेडकर को शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के बैनर पर चुनाव लड़ना पड़ा। कांग्रेस ने यहां भी उनका बुरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के खिलाफ कांग्रेस ने नारायण कजरोलकर को मैदान में उतारा और अंबेडकर साहब को हार का मुंह देखना पड़ गया। इस हार से भीमराव अंबेडकर को भारी सदमा लगा और वे लंबे समय तक बीमार बने रहे। अंततः 1956 में उनका देहावसान हो गया।
यह तो केवल बानगी है। यदि कांग्रेस द्वारा बाबा साहेब अंबेडकर का बुरा करने संबंधी आलेख पर केंद्रित रहे तो मीडिया का बड़ा से बड़ा प्लेटफार्म भी छोटा पड़ जाएगा। इसलिए कुछ बातें संविधान की भी कर लेते हैं। कांग्रेस ने अपने जन विरोधी आचरण के चलते संविधान को जिस तरह से तोड़ा मरोड़ा वह अनिर्वचनीय है। इसमें सबसे बड़ा उदाहरण तो इमरजेंसी है। तब अदालत द्वारा दिए गए संविधान सम्मत फैसले को कांग्रेस शासित सरकार की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पलट  दिया था। उनका अवैध चुनाव उनके राजनीतिक निर्वासन का कारण ना बने, सिर्फ इसलिए देश पर इमरजेंसी ठोक दी गई। देश आज भी उस अलोकतांत्रिक समय को काला दिवस के रूप में याद करता है। कांग्रेस की यही कार्य प्रणाली शाहबानो केस में उभर कर सामने आती है। उल्लेखनीय है कि उन दिनों शाहबानो के पति ने उसे टेलीग्राम के माध्यम से 3 तलाक भेज दिया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया तथा ऐसा करने पर 3 वर्ष का कारावास व गुजारा भत्ता देना होगा, ये प्रावधान भी कर दिया। बर्ष 1986 में जब कांग्रेस को संसद में पूर्ण बहुमत प्राप्त था, तब उसने एक कानून पास किया, जिसने शाह बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को उलट दिया। देश का बुद्धिजीवी वर्ग और प्रगतिशील मुस्लिम धर्मावलंबी आज भी मानते हैं कि कांग्रेस सरकार का उक्त निर्णय संविधान की हत्या के समान था। उसने यह कृत्य राजनीतिक फायदा हासिल करने की दृष्टि से कट्टरवादी मुस्लिम नेताओं को खुश करने हेतु कारित किया था। ऐसे अनेक उदाहरण भारतीय इतिहास में भारी पड़े हैं, जब कांग्रेस ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और संविधान का कई बार अनिष्ट किया। किंतु इस लेख में प्रस्तुत उदाहरण के माध्यम से सहज ही समझा जा सकता है कि कांग्रेस कभी भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और भारतीय संविधान की सगी नहीं थी, ना है और ना ही कभी हो पाएगी। कितनी हास्यास्पद बात है, वही संविधान विरोधी, अंबेडकर विरोधी कांग्रेस आज संविधान और बाबासाहेब अंबेडकर के नाम की आड़ लेकर अपने पाप छुपाने का अक्षम्य में अपराध कारित करने में संलग्न है। कांग्रेस और कांग्रेसियों के इस आचरण पर केवल अफसोस ही जताया जा सकता है। लेकिन देश के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को भी इस सच्चाई से वाकिफ होना होगा। इसी में जनता जनार्दन की भलाई है।
#doctor Raghvendra Sharma #BJP #Congress #daw Mohan Yadav #Dr Mohan Yadav #chief minister #prime minister #Narendra Modi #dr Ambedkar #constitution #India #Bharat #Mohanlal Modi #ShabdGhosh #bheemrav #shahbano #emergency #Indira Gandhi #Bharat ratn #Muslim #Hindu #Mumbai #

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ