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union carbide का नहीं, जहरीला कचरा इंका का

डॉक्टर राघवेंद्र शर्मा। 
कांग्रेस और कांग्रेसी नेता वर्तमान समय में जिस प्रकार की हरकतें सार्वजनिक रूप से कर रहे हैं, उन्हें देखकर हंसी भी आती है और बेहद आश्चर्य भी होता है। आजकल इन लोगों ने यूका यानि कि "यूनियन कार्बाइड" के कचरे को लेकर आसमान सिर पर उठा रखा है। यह लोग मालवा क्षेत्र के पीथमपुर में इस कदर हाय-तौबा मचा रहे हैं, मानो जनता का इनसे बड़ा शुभचिंतक और कोई है ही नहीं। उनकी इस कार्यशैली पर एक किस्सा याद आता है। एक जेब कतरा किसी व्यक्ति की जेब काट कर भाग रहा था। तभी जिसकी जेब कटी थी उसने जेब कतरे को जेब काटते हुए देख लिया और चिल्ला पड़ा - चोर-चोर पकड़ो-पकड़ो। ध्यान आकर्षित होने पर अन्य लोग भी उस जेबकतरे को देखकर चिल्लाने लगे - चोर-चोर पकड़ो-पकड़ो। अब जेब कतरा समझ गया कि अकल से काम नहीं लिया गया तो वह जल्दी ही जनता के हाथ लग जाएगा और फिर उसकी मिट्टी पालीद होना तय है। तभी उसने जुगत लगाई और खुद भी चोर-चोर पकड़ो-पकड़ो चिल्लाने लगा। नतीजा यह हुआ कि जो लोग चोर-चोर पकड़ो-पकड़ो चिल्लाते हुए उसकी ओर आ रहे थे, वह असमंजस में पड़ गए। क्योंकि अभी तक वह जिसे जेब कतरा समझ रहे थे और जो वाकई में जेब कतरा था, वह खुद भी अब उनसे भी ज्यादा जोर से चोर-चोर पकड़ो-पकड़ो चिल्ला रहा था। जेबकतरे द्वारा खड़े किए गए भ्रम के चलते लोग समझ नहीं पा रहे थे कि अब तक वह जिसे चोर समझ रहे थे, सही मायने में वही चोर है भी या फिर कोई और! बस जनता की इसी ऊहापोह का फायदा उठाकर जेब कतरे ने सबका ध्यान भटका दिया और खुद साफ-साफ बच निकला‌। यूनियन कार्बाइड के मामले में भी कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं का चरित्र बिल्कुल उस जेब कतरे के जैसा है, जिसने वास्तव में जेब काटी थी। लेकिन अपनी धूर्तता के चलते वह लोगों का ध्यान भटकाने में सफल हो गया था। लिखने का आशय यह है कि यूनियन कार्बाइड के जिस जहरीले कचरे को लेकर कांग्रेस चीख पुकार मचा रही है, दरअसल यह जहरीला कचरा उसी की देन है और स्पष्ट रूप से लिखा जाए तो यह कांग्रेस और कांग्रेसियों के पाप पूर्ण कृत्यों का ही फल है, जिसका सामना मध्य प्रदेश की जनता को चार दशकों से करना पड़ रहा है। जिसके चलते मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा यूनियन कार्बाइड के कचरे को ठिकाने लगाने का आदेश पारित करना पड़ा। न्यायालयीन आदेश के पालन में मध्य प्रदेश सरकार आम आदमी की कुशलता को ध्यान में रखते हुए उस जहरीले कचरे को अंततः खत्म करने की मशक्कत कर रही है। अब जब सुरक्षित संसाधनों की उपलब्धता के चलते पीथमपुर में उक्त जहरीले कचरे की समाप्ति की जा रही है, तब कांग्रेस अपना पाप छुपाने के लिए पूरी बेशर्मी के साथ मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार को लांछित करने का हास्यास्पद कृत्य करती दिखाई दे रही है। कौन नहीं जानता वर्ष 1984 में मध्य प्रदेश के हर शहर और गांव में एक नारा गूंजा करता था। भोपाल की गलियां सूनी हैं, अर्जुन सिंह खूनी है। जनता द्वारा यह नारा अकारण ही नहीं लगाया गया था। दरअसल वह व्यक्ति मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ही थे जो तत्समय प्रदेश की कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। इतिहास में बेहद स्पष्ट रूप से यह सच्चाई दर्ज है कि उन्ही ने यूनियन कार्बाइड के मुख्य कर्ताधर्ता और इस खूनी कारखाने के सीईओ वारेन एंडरसन को विशेष वायुयान द्वारा यहां से भगाने में मुख्य भूमिका निभाई थी। तब पुलिस और प्रशासन के दो वरिष्ठ अधिकारी सरकारी वाहन से वारेन एंडरसन को देश की जनता से बचाकर उक्त विशेष विमान तक स्वयं पहुंचाने गए थे। कौन नहीं जानता कि मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने यह पाप पूर्ण कृत्य तत्कालीन कांग्रेस शासित केंद्र सरकार के इशारे पर किया था। बाद में जब यह मामला मीडिया के हाथ में गया और न्यायालयीन हस्तक्षेप के चलते जांच आगे बढ़ी, तब वो सभी गफलतें निकलकर सामने आने लगीं, जिनसे पता चला कि कैसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपने निजी स्वार्थों के चलते, यूनियन कार्बाइड को सुरक्षा संबंधी वैश्विक नियमों को ताक पर रखकर, भोपाल में जानलेवा संयंत्र लगाने की अनुमति सहज ही प्रदान कर दी थी। 1984 में जब यह यूनियन कार्बाइड हजारों बच्चों, महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों की मौत का कारण बना, तो सबसे बड़ा पाप यह किया गया कि जिस वारेन एंडरसन को बंदी बनाकर गैस पीड़ितों और इस आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को आर्थिक राहत पहुंचाई जा सकती थी, उस अपराधी को कांग्रेस सरकार के संरक्षण में देश से बाहर भगा दिया गया।
 गैस कांड के समय भोपाल के कलेक्टर रहे मोती सिंह ने अपनी किताब “भोपाल गैस त्रासदी का सच” में उस सच को भी उजागर किया, जिसके चलते वारेन एंडरसन को जमानत देकर भगाया गया। मोती सिंह ने अपनी किताब में पूरे घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए लिखा कि वारेन एंडरसन को मध्य प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुखिया और मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के आदेश पर छोड़ा गया था। वारेन एंडरसन के खिलाफ पहली एफआईआर गैर जमानती धाराओं में दर्ज थी। इसके बाद भी उसे जमानत देकर छोड़ दिया गया। एक बार जो वह भारत से बाहर निकल पाया फिर कभी लौटकर नहीं आया। आरोप तो यह भी हैं कि कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकारों ने उसे अमेरिका से भारत लाने के लिए गंभीर प्रयास तक नहीं किये। यहां तक कि उसे भारत लाने की प्रक्रिया को काफी महंगा बताकर मामले से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया जाता रहा। गौर से देखा जाए तो विश्व की सबसे बड़ी गैस त्रासदी के लिए कांग्रेस भी उतनी ही जिम्मेदार है, जितना कि मृत हो चुका वारेन एंडरसन। क्योंकि कांग्रेस की वजह से ही वैश्विक सुरक्षा मानकों से अनेक समझौते हुए और यूनियन कार्बाइड को भोपाल में प्राण घातक संयंत्र लगाने की अनुमति मिली। जब हजारों लोग उसकी जहरीली गैस से मृत्यु को प्राप्त हो गए, तब इसी कांग्रेस के संरक्षण में मुख्य अपराधी वारेन एंडरसन को भारत से बाहर भागने में सफलता मिली। इस पूरे प्रकरण में गौर से विश्लेषण किया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि जिस जहरीले कचरे को लेकर कांग्रेस हाय तौबा मचाने का नाटक कर रही है, दर असल वह कचरा यूका (यूनियन कार्बाइड) का कम इंका (इंडियन कांग्रेस/तत्कालीन इंदिरा कांग्रेस) का ज्यादा नजर आता है। आज वही कांग्रेस और वहीं कांग्रेसी पूरी ढिठाई के साथ खुद को भोपाल गैस त्रासदी मामले में पाक साफ साबित करने के युद्ध स्तरीय प्रयासों में लगे हुए हैं। निर्दोष लोगों के खून से सनी हुई इनकी नापाक उंगलियां उस भाजपा शासन की ओर उठ रही हैं, जो केवल न्यायालयीन आदेश के परिपालन में सुरक्षात्मक संसाधनों का इस्तेमाल करके उस जहरीले कचरे को खत्म करने का जतन कर रही है, जो केवल और केवल कांग्रेस तथा कांग्रेसियों की जन विरोधी नीतियों की ही देन है। और एक कांग्रेस है जो ठीक उस जेब कतरे की तरह आचरण कर रही है, जो भली भांति जानता है कि जनता का गुनहगार वह स्वयं है। इसके बावजूद वह अपनी धूर्तता का इस्तेमाल कर दूसरे को अपराधी साबित करने की जद्दोजहद कर रहा होता है। जिसका वर्णन इस लेख के प्रारंभ में किया जा चुका है। लिखने का आशय यह कि अपनी जनविरोधी नीतियों और देश के शत्रुओं के प्रति नरम रवैये के चलते कांग्रेस लगातार रसातल की ओर जा रही है। फल स्वरुप इस पार्टी के नेता अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं या फिर जनता को बेवकूफ समझ कर उसे गुमराह करने के लिए बे सिर पैर के मुद्दे हवा में उछाल रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है ये लोग मगरमच्छ की तरह जितने दिखावटी आंसू बहा रहे हैं, लोग इतनी तेजी से गूगल पर 1984 की भोपाल गैस त्रासदी को सर्च करने में जुट गए हैं। मेरे व्यक्तिगत अध्ययन के अनुसार यह सच्चाई सामने आ रही है कि मध्य प्रदेश समेत देश भर के लोग गूगल पर यह सर्च कर रहे हैं कि कैसे कांग्रेस शासन में यूनियन कार्बाइड को भोपाल में जहरीला संयंत्र लगाने की अनुमति मिली। कैसे कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार ने सुरक्षा मानकों से समझौते किए, जब गैस रिसाव हुआ और हजारों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे तथा लाखों लोग इससे प्रभावित हुए, तब कैसे मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को सरकारी संरक्षण में तड़ीपार किया गया। अब जब गूगल पर यह सब सर्च होने लग गया है, तब कांग्रेस को समझ जाना चाहिए कि वह जिस कचरे को लेकर भ्रम फैलाने का प्रयास कर रही है, सच्चाई जानने के बाद जनता को वह कचरा यूका का कम, इंका  का ज्यादा स्पष्ट नजर आने लगा है। अतः जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस और कांग्रेसी भी इस सच्चाई को अब भली भांति स्वीकार कर लें कि यूका और इंका की करतूतों की वजह से आज जिन परिस्थितियों का सामना जनता व मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार को करना पड़ रहा है उसके लिए खुद कांग्रेसी ही जिम्मेदार हैं। उन्हें आंदोलन रूपी ढोंग करने की बजाय भोपाल ही नहीं अपितु प्रदेश भर की जनता से 1984 के भोपाल गैस कांड के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए। शायद उनके कुछ पाप धुल जाएं!
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